Class 11th hindi prashn bank solution 2021-22 mp board सम्पूर्ण काव्यखंड भाग 4
Class 11th hindi prashn bank solution mp board, कक्षा 11वी हिन्दी प्रश्न बैंक सोल्यूशन 2021-22 mpboard, आरोह पद्य खंड प्रश्नोंत्तर 2022
हैलो स्टूडेंट नमस्कार आज इस पोस्ट में हम आपको कक्षा 11 वीं हिन्दी लोक शिक्षण संचनालय विमर्श पोर्टल द्वारा जारी किए गए प्रश्न बैंक में हिंदी काव्यखंड का सोल्यूशन देखेंगे।
प्रश्न बैंक का सलूशन देखने से पहले आपके दिमाग में कुछ सवाल आते होंगे जिनके आंसर यहां पर दिए गए हैं-
प्रश्न बैंक क्यों पढ़ना चाहिए, प्रश्न बैंक से क्या प्रश्न आते हैं, और प्रश्न बैंक से ही पढ़ना क्यों जरूरी है, इन सभी प्रश्नों के आंसर यहां पर दिए गए हैं।
क्या प्रश्न बैंक से प्रश्न आते हैं?
जब से प्रश्न बैंक जारी हुए हैं तो आप सब में से कई लोगों ने इसे डाउनलोड भी कर लिया होगा लेकिन आप सब को यह डाउट होगा
कि प्रश्न बैंक में से हमारी बोर्ड परीक्षा या वार्षिक परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं या नहीं?
तो मैं आपको बता दूं पिछले वर्ष बोर्ड द्वारा जारी किए गए प्रश्न बैंक से आपके 90 से 95% प्रश्न, प्रश्न बैंक से ही पूछे गए थे तो प्रश्न बैंक में से प्रश्न आते हैं और प्रश्न बैंक में से आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न बैंक क्यों पढ़ना चाहिए?
Students आप सभी को पता ही होगा प्रश्न बैंक जो जारी किए जाते हैं बोर्ड द्वारा वह सभी आप के लेटेस्ट ब्लूप्रिंट के आधार पर तैयार किए जाते हैं और आप सबको पता ही है कि जो आपका प्रश्न पत्र आता है यानी कि क्वेश्चन पेपर आपका जो आता है वह पूर्णत: ब्लूप्रिंट पर आधारित होता है उसमें से एक अंक का प्रश्न भी यहां वहां नहीं होता।
इसलिए जो प्रश्न बैंक जारी किए जाते हैं वह पूर्णता ब्लूप्रिंट पर आधारित होते हैं और यदि आप पूर्णता ब्लूप्रिंट पर आधारित प्रश्न बैंक को पढ़ेंगे
तो आपसे सभी प्रश्न बन जाएंगे इसलिए प्रश्न बैंक पढ़ना जरूरी होता है।
प्रश्न बैंक का सोल्यूशन कहाँ मिलेगा?
यदि आप लोगों ने प्रश्न बैंक डाउनलोड कर लिए हैं तो आपको पता ही होगा कि प्रश्न बैंक में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के आंसर तो दिए हैं लेकिन अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के आंसर नहीं दिए हैं।
ऐसे में इनका सलूशन आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है तो इनका सलूशन हम आपको प्रोवाइड करवाएंगे जिसमें आपके चैप्टर वाइज नोट आपको पीडीएफ के माध्यम से इसी वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे।
Class 11th hindi prashn bank solution 2021-22 mp board (4 अंकीय) व्याख्याएं
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प्र. (viii). निम्नलिखित पद्यांश का संदर्भ प्रसंग सहित भावार्थ दीजिए(120 शब्द, 4 अंकीय)
प्रश्न (viii) [Part 4]
1. हम तौ एक एक करि जाना।दोइ कहैं तिनहीं कौ दोजग जिन नाहिंन पहिचाना।।
एकै पवन एक ही पानीं एकै जोति समाना।
एकै खाक गढ़े सब भांडै़ एकै कोंहरा साना।।
जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।
सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।
माया देखि के जगत लुभांनां काहे रे नर गरबाना।
उत्तर-
सन्दर्भ - प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य-पुस्तक 'आरोह' से लिया गया है। इसके रचयिता कबीर
दास जी हैं।
प्रसंग- कबीरदास 'एक' ही परमात्म तत्त्व की सत्ता स्वीकार करते हैं। उनके अनुसार इस संसार का रचयिता एक परमात्मा है। संसार के समस्त रूपों में उसी एक की सत्ता विद्यमान है। इस भाव को व्यक्त करते हुए वे कहते हैं -
व्याख्या - हम तो उस 'एक' परमात्मा को एक ही मानते हैं । जो लोग उस परम तत्त्व को आत्मा-परमात्मा, जीव-ब्रह्म आदि को अलग अलग-अलग मानते हैं, उन्होंने वास्तव में उस परमात्मा को जाना नहीं है। उनके लिए संसार नरक है। अज्ञानवश वे 'एक' को 'दो' मान
बैठे हैं। पूरी सृष्टि में वायु एक है, जल एक है और उसी एक ही परमात्मा की ज्योति समस्त संसार में व्याप्त है। सभी का निर्माण एक ही मिट्टी से हुआ है तथा उन्हें एक ही कुम्हार ने बनाया है अर्थात् सभी मानवों का निर्माण जल, नभ, अग्नि आदि पाँच तत्त्वों से हुआ है तथा
उनका निर्माता भी एक है। जिस प्रकार बढ़ई लकड़ी को तो काट सकता है किंतु अग्नि को नहीं काट सकता। ठीक इसी प्रकार प्रत्येक कण के भीतर तू विद्यमान है, तूने ही विभिन्न रूप-स्वरूप धारण किए हुए हैं। संसार के माया रूप को देखकर यह सारा संसार लालची हो गया है। यह माया तो झूठी है भला तू इस झूठी माया पर क्यों गर्व करता है? प्रभु-प्रेम में दीवाने कबीर कहते हैं- जो लोग माया-मोह से मुक्त हो जाते हैं, वे निर्भय रहते हैं। उन्हें किसी प्रकार का कोई भय नहीं लगता है।
काव्य सौन्दर्य - (1) कबीर की वाणी में प्रखर आत्मविश्वास है । वे अपनी बात को पूरे आत्मविश्वास से कहते हैं। हम तौ' और 'कहै कबीर दिवांनां' की निर्भीकता दर्शनीय है।
(2) माया-मोह और गर्व की व्यर्थता पर प्रकाश डाला गया है।
2.पग घुघुरू बांधि मीरा नाची,
मै तो मेरे नारायण सूं , आपहि हो गई साची
लोग कहै, मीरा भई बाबरी, न्यात कहै कुल -नासी
विस का प्याला राणा भेज्या , पीवत मीरा हाँसी
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी।
उत्तर-
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक आरोह से लिया गया है, इसकी रचयिता मीराबाई है।
प्रसंग - प्रस्तुत पद में मीराबाई की अनन्य भक्ति प्रकट हुई। मीरा ने कृष्ण के प्रेम में लोक-लाज और घर-परिवार की मर्यादाएँ तोड़ दी हैं। वे अपने प्रभु के प्रति प्रेम में इतना डूब चुकी हैं कि उसे सांसारिक बातों का कोई असर नहीं पड़ता है।
व्याख्या - मीरा अपने पैरों में घुघरू बाँधकर श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हुई नृत्य कर रही है, नृत्य करती हुई कह रही है कि मेरे तो श्रीकृष्ण हैं और मैं भी श्रीकृष्ण की हूँ मेरे ऐसा कहने पर लोग मुझे पागल हो गई बताते हैं । मेरे इस खुले कृष्ण-प्रेम पर मेरे कुटुम्ब के लोग मुझे कुलनाशी कहते हैं। मैंने यह कर्म करके अपने कुल की छवि को मिट्टी में मिला दिया है। राणा जी ने मुझे मार डालने के लिए विष का प्याला भरकर भेजा। मैं उस प्याले को प्रभु का प्रसाद समझकर सहर्ष पी गई। (परन्तु कृष्ण उस विष को अमृत में परिवर्तित कर देते हैं।
मीरा कहती है - मेरे प्रभु तो गिरधर कृष्ण हैं । मुझे अपने उस अविनाशी प्रभु के दर्शन सरलता से प्राप्त हो जाते हैं।
काव्य सौन्दर्य - (1) मीरा की कृष्ण के प्रति अटूट निष्ठा व्यक्त हुई है।
(2) कहै कुल- नासी, प्रभु गिरधर नागर में अनुप्रास अलंकार है।
(3) भक्ति रस में पद की व्यंजना की गई है।
3.लहराते वे खेत द्वगों में
हुआ बेदखल वह अब जिनसे,
हसती थी उसके जीवन की
हरियाली जिनके तृन-तृन से !
आँखों ही में घूमा करता
वह उसकी अखिों का तारा,
कारकुनों की लाठी से जो
गया जवानी ही में मारा।
उत्तर-
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक आरोह में कविवर सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित 'वे आंखें' नामक कविता से लिया गया है।
प्रसंग - इस कविता में उन्होंने सूदखोरों की मार झेल रहे भारतीय किसान की दुर्दशा का मार्मिक चित्रण किया है।
व्याख्या - उस किसान की आँखों में आज भी वे लहलहाते खेत झूम उठते हैं, जिनसे उसे वंचित कर दिया गया है। सूदखोर सेठों ने थोड़े से ऋण के बदले उसकी सारी खेती को हथिया लिया है। उन खेतों का एक-एक तिनका उसे इतना प्यारा था कि उसे देखकर किसान के जीवन में मानो हरियाली छा जाती थी। उसका मन प्रसन्न हो उठता था। दुर्भाग्य से उसे आज उन्हीं खेतों के अधिकार से वंचित कर दिया गया है। इस कारण उसके जीवन की प्रसन्नता नष्ट हो गई है। किसान का प्रिय बेटा जवानी की ही अवस्था में सूदखोरों के कारिंदों द्वारा लाठियों के निर्मम प्रहारों से मार डाला गया। अपने प्रिय बेटे की वह क्रूर हत्या आज तक भी उसकी आँखों के सामने प्रत्यक्ष होकर नाचने लगती है।
काव्य सौंदर्य - (1) आँखों में घूमना' तथा 'आँखों का तारा' मुहावरों का सशक्त प्रयोग हुआ है।
(2) भाषा सरल, सरस, प्रवाह युक्त है।
(3) लयात्मकता विद्यमान है।
(4) कवि ने शोषित किसान की दीन-दशा का वर्णन किया है।
4.मैं मज़े में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है ,
उत्तर-
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक' आरोह' में आधुनिक युग के महाकवि भवानी प्रसाद मिश्र की 'घर की याद' नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग- यहाँ कवि की सोच आशावादी दिखाई देती है।
व्याख्या - कवि कहता है कि, इतना अवश्य है कि वह अपने घर पर नहीं है। इसमें वह कुछ कर नहीं सकता, यह तो उसकी विवशता है। इसी विवशता के कारण ही तो सभी दु:खी (फीके) हैं।
काव्य सौन्दर्य - (1) कवि के त्याग का वर्णन है।
(2) अलंकार - अनुप्रास, रूपक।
(3) भाषा- सरल व सहज।
5. खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए।
कोई हसीन नज़ारा तो है नजर के लिए।
वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
ये एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए।
मैं बेकरार हूँ आवाज में असर के लिए।
उत्तर-
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित दुष्यंत कुमार द्वारा रचित ग़ज़ल पाठ से लिया गया है।
प्रसंग - यहाँ कवि ने आज के प्रतिकूल परिस्थितियों वाले वातावरण में सभी मानवीय गुणों से सम्पन्न मानव की कल्पना की है। तथा समाज के अभावों और उनके प्रति लापरवाह और निष्क्रिय समाज को जगाने का प्रयत्न है। कवि निराश-हताश भारतीय जनता को जगाने का प्रयत्न करता हुआ कहता है-
व्याख्या - यदि मान लें कि ईश्वर नहीं होता है, तो न सही। अगर यह मनुष्य की कल्पना मात्र है, तब भी अच्छा है। इस प्रकार से भी हमारी दृष्टि के लिए कोई सुन्दर दृश्य तो मिल रहा है। भाव यह है कि यदि ईश्वर के अस्तित्व को कोई स्वीकार नहीं भी करता तब भी मनुष्य के मन में आशा की ज्योति जलाए रखने के लिए उसकी उपयोगिता से कोई इंकार नहीं कर सकता। इस
प्रकार ईश्वर की कल्पना कष्ट को सहने और धैर्य बनाए रखने में सहायता करती है।
कवि कहता है कि वे अर्थात् सत्तासीन लोग इस बात के लिए आश्वस्त हैं कि पत्थर का पिघलना संभव नहीं है, जबकि मैं अपनी वाणी में प्रभाव उत्पन्न करने के लिए व्याकुल हूँ। यहाँ कवि कहना चाहता है कि व्यवस्था चला रहे लोगों को पूर्ण विश्वास है कि व्यवस्था में परिवर्तन होना असंभव है। परन्तु कवि इस बात की प्रतीक्षा में है कि कभी-न-कभी उसकी आवाज लोगों में जागृति अवश्य उत्पन्न करेगी और तब यथास्थिति में भी बदलाव आ जाएगा।
काव्य सौंदर्य - (1) कवि ने भारतवासियों की दबी-कुचली आवाज़ पर कटाक्ष किया है। यहाँ
को धार्मिकता यथार्थ तले मुँह चुराने का एक साधन-भर है। इस यथार्थ का मार्मिक अंकन हुआ है।
(2) उर्दू शब्दावली का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है
(3) छोटे-छोटे स्वाभाविक शब्दों का स्वाभाविक एवं प्रवाहपूर्ण प्रयोग हुआ है।
(4) कवि जनता से बुराइयों के प्रति विद्रोह करे स्वर की अपेक्षा रखता है।
6.गाने के लिए गीत
हंसने के लिए थोड़ी- सी खिलखिलाहट
रोने के लिए मुट्ठी भर एकांत
बच्चों के लिए मैदान
पशुओं के लिए हरी हरी घासफूलों के लिए पहाड़ों की शांति।
उत्तर-
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित झारखंड की प्रसिद्ध कवयित्री निर्मला पुतुल द्वारा रचित 'आओ मिलकर बचाएं' नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग - इन पंक्तियों में कवयित्री झारखंड के जन-जीवन के स्वाभाविक सुख-दुख को बनाए रखने का आग्रह करती हुई कहती है कि-
व्याख्या - मैं चाहती हूँ कि हमारे जन-जीवन में फिर से नाच-गान का उल्लासमय वातावरण हो। नाचने के लिए खुले-खुले आँगन हों। वहाँ नित-प्रति गीत गाए जाते हों। हमारे जीवन में हँसी हो, खिलखिलाहट हो। रोने के लिए थोड़ा-सा अकेलापन भी मिले। बच्चों को खेलने के
लिए खुले मैदान मिलें। पशुओं को चरने के लिए हरी-हरी घास उपलब्ध हो और बड़े-बूढ़ों को पहाड़ी प्रदेशों का शांत वातावरण मिल सके।
काव्य सौंदर्य - (1) भाषा सरस, सरल व प्रवाहयुक्त है।
(2) अनुप्रास अलंकार।
(3) छन्दमुक्त कविता।
यदि आपने हिंदी कक्षा 11 आरोह काव्य खंड के भाग 1 भाग 2 व भाग 3 के प्रश्नों के उत्तर नहीं देखे हैं तो नीचे दी गई लिंक से देख सकते हैं।
ऊपर दिए गए सभी प्रश्नों की नोट्स डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक कीजिए
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